मोबाइल फोन चार्ज कर लेने के बाद, चार्जर को ऑन छोड़ देना अक्सर हम सबकी
आदतो में शुमार होता है। पर हम नही जानते कि प्लग चार्जर भी एक अल्प मात्रा
में बिजली का इस्तेमाल करता है। कितनी बिजली? Well... एक टिपिकल चार्जर
लगभग 1 वाट/घंटा बिजली का उपभोग करता है, जिसका हिसाब लगाया जाए तो एक दिन
में 16 घंटे चार्जर ऑन छोड़ने पर प्रतिवर्ष सिर्फ एक चार्जर का बिजली व्यय
लगभग 5-6 यूनिट होता है।
5-6 यूनिट सुनने में ज्यादा नही लगता लेकिन अब भारत में मौजूद लगभग 50 करोड़ से ज्यादा मोबाइल फोन धारको की संख्या और प्रतिवर्ष होने वाले अनावश्यक करोडो यूनिट बिजली के नुकसान का हिसाब लगाईये। क्या ये नुकसान थोड़ी सी सावधानी से रोका नही जा सकता?
महँगाई के जमाने में आज हममे से हर कोई धन की बचत के नए नए उपाय ढूंढ़ता है लेकिन अक्सर हम अपने आस पास मौजूद हो रहे छोटे छोटे बिजली व्यय को नजरअंदाज कर देते हैं।
उदाहरण के लिए अगर आप सेटअप बॉक्स के रीस्टार्ट होने में लगने वाले समय को बचाने के लिए दिन में कुछ घण्टे टीवी रिमोट से ऑफ करके स्टैंड बाय मोड में छोड़ देते है तो टीवी का प्रतिमाह बिजली व्यय लगभग 5-6 यूनिट होता है।
अब अगर आप अपने घर में मौजूद सभी मोबाइल,लैपटॉप चार्जर, टीवी, माइक्रोवेव, कंप्यूटर, लैपटॉप,ब्रॉडबैंड आदि का हिसाब लगाए, तो अनावश्यक व्यय की फिगर 200-500 रूपए प्रतिमाह होती है।
.
अब अगर इन आंकड़ो के आधार पर समूचे भारत के करोडो लोगो द्वारा किये जा रहे अनावश्यक बिजली व्यय का हिसाब लगाया जाए तो ये अरबो-खरबो यूनिट प्रतिवर्ष होता है।
.
बिजली उत्पादन के लिए आज भी मुख्यतः हम वातावरण में कार्बन छोड़ने वाले ऊर्जा के अपारंपरिक स्त्रोतो जैसे कोयले पर निर्भर है, जिस कारण बिजली उत्पादन का सीधा सम्बन्ध पर्यावरण प्रदुषण से भी होता है।
क्या थोड़ी सी सावधानी से ये बिजली बचाई नही जा सकती?
क्या थोड़ी सी जागरूकता से हम पर्यावरण और देश की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान नही दे सकते?
क्या बिजली बचाना भी देश और मानवता की सेवा नही?
खुद विचार करिये।
.
आपके घर में मौजूद टिपिकल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस स्टैंड बाय मोड पर कितनी बिजली खाती है, इसकी एक तालिका आप प्रथम कमेंट में चेक कर सकते है।
Save Power ! Save Earth !
5-6 यूनिट सुनने में ज्यादा नही लगता लेकिन अब भारत में मौजूद लगभग 50 करोड़ से ज्यादा मोबाइल फोन धारको की संख्या और प्रतिवर्ष होने वाले अनावश्यक करोडो यूनिट बिजली के नुकसान का हिसाब लगाईये। क्या ये नुकसान थोड़ी सी सावधानी से रोका नही जा सकता?
महँगाई के जमाने में आज हममे से हर कोई धन की बचत के नए नए उपाय ढूंढ़ता है लेकिन अक्सर हम अपने आस पास मौजूद हो रहे छोटे छोटे बिजली व्यय को नजरअंदाज कर देते हैं।
उदाहरण के लिए अगर आप सेटअप बॉक्स के रीस्टार्ट होने में लगने वाले समय को बचाने के लिए दिन में कुछ घण्टे टीवी रिमोट से ऑफ करके स्टैंड बाय मोड में छोड़ देते है तो टीवी का प्रतिमाह बिजली व्यय लगभग 5-6 यूनिट होता है।
अब अगर आप अपने घर में मौजूद सभी मोबाइल,लैपटॉप चार्जर, टीवी, माइक्रोवेव, कंप्यूटर, लैपटॉप,ब्रॉडबैंड आदि का हिसाब लगाए, तो अनावश्यक व्यय की फिगर 200-500 रूपए प्रतिमाह होती है।
.
अब अगर इन आंकड़ो के आधार पर समूचे भारत के करोडो लोगो द्वारा किये जा रहे अनावश्यक बिजली व्यय का हिसाब लगाया जाए तो ये अरबो-खरबो यूनिट प्रतिवर्ष होता है।
.
बिजली उत्पादन के लिए आज भी मुख्यतः हम वातावरण में कार्बन छोड़ने वाले ऊर्जा के अपारंपरिक स्त्रोतो जैसे कोयले पर निर्भर है, जिस कारण बिजली उत्पादन का सीधा सम्बन्ध पर्यावरण प्रदुषण से भी होता है।
क्या थोड़ी सी सावधानी से ये बिजली बचाई नही जा सकती?
क्या थोड़ी सी जागरूकता से हम पर्यावरण और देश की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान नही दे सकते?
क्या बिजली बचाना भी देश और मानवता की सेवा नही?
खुद विचार करिये।
.
आपके घर में मौजूद टिपिकल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस स्टैंड बाय मोड पर कितनी बिजली खाती है, इसकी एक तालिका आप प्रथम कमेंट में चेक कर सकते है।
Save Power ! Save Earth !
No comments:
Post a Comment