निखिल बाबू का अर्थ क्या है? बिहार का most illustrious राजनैतिक परिवार के विरासत लिए हुए व्यक्ति।वह परिवार जो बिहार की राजनीति में गांधी जी के बिहार आगमन(चम्पारण-1917) से आज तक अर्थात पिछले 101वर्षों से अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए हुए है।
वह परिवार जिसे नजरअंदाज करके बिहार में राजनीति नहीं हो सकती।वह परिवार जिसके सदस्य 1923,(प्रांतिय स्वायत्तता के तहत प्रथम चुनाव,)चुनाव,1937,1946,1952,का चुनाव हो, बिहार का प्रथम मंत्रिमंडल हो, संविधान सभा हो, हर जगह स्वयं एवं इनके लोग रहे। 1957 तक अनुग्रह बाबू राजनीति के एक मजबूत धूरी बने रहे।छोटे साहब ने न केवल हनक के साथ राजनीति किया,बल्कि, शिक्षा मंत्री के रूप में बिहार में शैक्षिक क्रांति लाने में अहम योगदान दिया। छोटे साहब की धर्मपत्नी आदरणीया किशोरी सिंह जी, आदरणीया श्यामा जी(निखिल बाबू की पत्नी)🎂 और फिर आदरणीय निखिल बाबू ने भी लोकसभा को सुशोभित किया। पुनः जहां अनुग्रह बाबू लगातार उपमुख्यमंत्री एवं वित्तमंत्री रहे, वहीं छोटे साहब कई बार मंत्री के साथ मुख्यमंत्री रहे, वहीं निखिल बाबू सांसद के साथ-साथ राज्यपाल भी रहे। सबसे उल्लेखनीय और आज के हिसाब से घोर आश्चर्यजनक बात क्या है?इस पूरे सौ वर्षो के इतिहास में राजनीति के काली कोठरी का संभवतःन केवल बिहार का वरण संपूर्ण देश का एक मात्र spottles-बेदाग-राजनैतिक परिवार । राजनैतिक सुचिता, इमानदारी, उच्च राजनैतिक मापदंडों का पालन, जनकल्याण के लिए समर्पित परिवार।ऐसा परिवार जिसके समर्थक आज भी बिहार के हर जिले में मौजूद हैं।ऐसा परिवार जिसके समर्थकों को यह पता हो जाए कि उनकेे नेता के यहां कोई आयोजन है,वह अपने खर्च पर वहां पहुंच जाते हैं,यह गौरव आज किसी नेता को प्राप्त नहीं है। बिहार की राजनीति जबतक रहेगी,उसकी कहानी इस परिवार के बिना पूरी नहीं हो सकती।उस ऐतिहासिक, अत्यंत सम्मानित,एवं गौरवशाली परिवार के नायाब धरोहर है निखिल बाबू।क्या इस देश के किसी भी अन्य राजनैतिक दल(कांग्रेस के अलावे) या राजनैतिक परिवार को ऐसा गौरव प्राप्त है?मेरे हिसाब से नहीं।हम अपने आप को अत्यंत भाग्यशाली मानते हैं कि हमें इस तरह के महान व्यक्तित्व के सानिध्य में रहने का मौका मिलता है,और इनका स्नेह प्राप्त है।निखिल बाबू का अर्थ क्या है? बिहार का most illustrious राजनैतिक परिवार के विरासत लिए हुए व्यक्ति।वह परिवार जो बिहार की राजनीति में गांधी जी के बिहार आगमन(चम्पारण-1917) से आज तक अर्थात पिछले 101वर्षों से अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए हुए है।वह परिवार जिसे नजरअंदाज करके बिहार में राजनीति नहीं हो सकती।वह परिवार जिसके सदस्य 1923,(प्रांतिय स्वायत्तता के तहत प्रथम चुनाव,)चुनाव,1937,1946,1952,का चुनाव हो, बिहार का प्रथम मंत्रिमंडल हो, संविधान सभा हो, हर जगह स्वयं एवं इनके लोग रहे। 1957 तक अनुग्रह बाबू राजनीति के एक मजबूत धूरी बने रहे।छोटे साहब ने न केवल हनक के साथ राजनीति किया,बल्कि, शिक्षा मंत्री के रूप में बिहार में शैक्षिक क्रांति लाने में अहम योगदान दिया। छोटे साहब की धर्मपत्नी आदरणीया किशोरी सिंह जी, आदरणीया श्यामा जी(निखिल बाबू की पत्नी)🎂 और फिर आदरणीय निखिल बाबू ने भी लोकसभा को सुशोभित किया। पुनः जहां अनुग्रह बाबू लगातार उपमुख्यमंत्री एवं वित्तमंत्री रहे, वहीं छोटे साहब कई बार मंत्री के साथ मुख्यमंत्री रहे, वहीं निखिल बाबू सांसद के साथ-साथ राज्यपाल भी रहे। सबसे उल्लेखनीय और आज के हिसाब से घोर आश्चर्यजनक बात क्या है?इस पूरे सौ वर्षो के इतिहास में राजनीति के काली कोठरी का संभवतःन केवल बिहार का वरण संपूर्ण देश का एक मात्र spottles-बेदाग-राजनैतिक परिवार । राजनैतिक सुचिता, इमानदारी, उच्च राजनैतिक मापदंडों का पालन, जनकल्याण के लिए समर्पित परिवार।ऐसा परिवार जिसके समर्थक आज भी बिहार के हर जिले में मौजूद हैं।ऐसा परिवार जिसके समर्थकों को यह पता हो जाए कि उनकेे नेता के यहां कोई आयोजन है,वह अपने खर्च पर वहां पहुंच जाते हैं,यह गौरव आज किसी नेता को प्राप्त नहीं है। बिहार की राजनीति जबतक रहेगी,उसकी कहानी इस परिवार के बिना पूरी नहीं हो सकती।उस ऐतिहासिक, अत्यंत सम्मानित,एवं गौरवशाली परिवार के नायाब धरोहर है निखिल बाबू।क्या इस देश के किसी भी अन्य राजनैतिक दल(कांग्रेस के अलावे) या राजनैतिक परिवार को ऐसा गौरव प्राप्त है?मेरे हिसाब से नहीं।हम अपने आप को अत्यंत भाग्यशाली मानते हैं कि हमें इस तरह के महान व्यक्तित्व के सानिध्य में रहने का मौका मिलता है,और इनका स्नेह प्राप्त है।
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