नवरात्रि 2017 औरंगाबाद बिहार जानिए क्या है मां दुर्गा के अलग-अलग रुप की अराधना का महत्व

नौ रातों का समूह यानी नवरात्रे की शुरूआत अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पहली यानी तारीख 21 सितंबर से होने जा रही है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
अश्विन पक्ष में आने वाले नवरात्रे शारदीय नवरात् भी कहलाते हैं। नवरात्रों की शुरूआत सनातन काल से हुई थी। सबसे पहले भगवान रामचंद्र ने समुंद्र के किनारे नौ दिन तक दुर्गा मां का पूजन किया था और इसके बाद लंका की तरफ प्रस्थान किया था। फिर उन्होंने युद्ध में विजय भी प्राप्त की थी, इसलिए दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है और माना जाता है कि अधर्म की धर्म पर जीत, असत्‍य की सत्‍य पर जीत के लिए दसवें दिन दशहरा मनाते हैं। असत्य और सत्य की जीत का उत्सव और मां दुर्गा के पूजन के लिए नवरात्र मनाए जाते हैं

नवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। साल में दो बार ये पूरे भारत में मनाया जाता है। इसको मनाने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं लेकिन ये त्योहार हर कोई मनाता है। प्रमुख तौर पर दो नवरात्र मनाए जाते हैं लेकिन हिंदी पंचांग के अनुसार एक वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं। चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ हिंदू कैलेंडर के अनुसार इन महीनों के शुक्ल पक्ष में आते हैं। हिंदू नववर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के पहले दिन यानि पहले नवरात्रे को मनाया जाता है। आपको बता दें कि आषाढ़ और माघ माह के नवरात्रों को गुप्त नवरात्रे कहा जाता है। चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रे बहुत लोकप्रिय हैं। अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाले नवरात्रों को दुर्गा पूजा नाम से और शारदीय नवरात्रों के नाम से भी जाना जाता है। अश्विन माह के नवरात्रों को महानवरात्र माना जाता है ये दशहरे से ठीक पहले होते हैं। दुर्गा मां की अलग-अलग शक्तियों की इन नौ दिन पूजा की जाती है। हर रूप की अपनी-अपनी विशेषता होती है, इसलिए इन नौ दिनों में मां के हर रूप की पूजा होती है।
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दुर्गा मां की अलग-अलग शक्तियों की इन नौ दिन पूजा की जाती है। हर रूप की अपनी-अपनी विशेषता होती है, इसलिए इन नौ दिनों में मां के हर रूप की पूजा होती है।
शैलपुत्री- ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है।
ब्रह्मचारिणी- नवरात्र पर्व के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। साधक इस दिन अपने मन को मां के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमण्डल रहता है।
चंद्रघंटा- मां दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन-आराधन किया जाता है। इस दिन साधक का मन ‘मणिपूर’ चक्र में प्रविष्ट होता है।
कूष्माण्डा- नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘अदाहत’ चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए।
स्कंदमाता- नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। मां अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।
कात्यानी देवी- कात्यायनी नवदुर्गा या हिंदू देवी पार्वती के नौं रूपों में छठवें रूप है| यह अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम हैं।
कालरात्रि- मां दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है।
महागौरी- मां दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है।

सिद्धयात्री- सिद्धयात्री मां अपने भक्त को सिद्ध प्राप्त करवाती हैं और उन्हें शक्तियां प्रदान करती हैं।
इस नवरात्रे मां दुर्गा आपकी कामना पूरी करें, मां नैना आपकी नैनों को ज्योति दे, मां चिंतपूर्णी आपकी चिंता हरे, मां काली आपके शत्रुओं का नाश करे, मां मनसा आपकी हर मनोकामना पूरी करे, मां शेरों वाली आपके परिवार को सुख शान्ति दे, मां ज्वाला आपके जीवन में रौशनी दे, मां लक्ष्मी आपको धन से मालामाल करे।
जय माता दी !
मां की ज्योति से प्रेम मिलता है, सबके दिलो को आनंद मिलता है, जो भी जाता है माता के द्वार, उसे कुछ न कुछ जरूर मिलता है |
|| शुभ नवरात्री, जय माता दी ||
सारा जहां है जिसकी शरण में, नमन है उस मां के चरण में, हम है उस मां के चरणों की धूल, आओ मिलकर मां को चढ़ाएं श्रद्धा के फूल।

शुभ नवरात्रि।
aurangabad bihar 

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